गाँव के बीमार लोगों के इलाज़ के लिए अब उनके घर पहुंचेगा टेली क्लिनिक, विशेषज्ञ डॉक्टर ऑनलाइन करेंगे इलाज़

हिमाचल प्रदेश (कांगड़ा) :- टांडा मेडिकल कॉलेज के तहत आने वाले नर्सिंग स्कूल में आज डिजिटल हेल्थ और टेली मेडिसन पर कार्यशाला का आयोजन किया गया, इसमें टेलीमेडिसिन सोसायटी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय सचिव प्रो डॉ उमाशंकर ने बतौर मुख्य वक्ता और मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की, इस दौरान टांडा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ मिलाप शर्मा ने विशेष अतिथि के तौर पर अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई, इस दौरान नर्सिंग स्कूल टांडा मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल सुमन बोध ने इस कार्यशाला में पहुंचे मुख्य अतिथियों का स्वागत सत्कार किया…

क्या है डिजिटल हैल्थ और टेलीमेडिसिन

डिजिटल हैल्थ और टेलीमेडिसिन स्वास्थ्य के क्षेत्र में ऑनलाइन सेवाओं को प्रदान करने का बड़ा ही व्यापक माध्यम है, जिसके जरिए आप सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठकर भी डिजिटल तरीके से अपने मरीजों का इलाज आसान तरीके से कर सकते हैं, जानकारी के मुताबिक आप इसमें इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड (ईएचआआर), स्वास्थ्य सूचना प्रणाली, मोबाइल स्वास्थ्य ऐप्स, पहनने योग्य डिवाइस और ऑनलाइन स्वास्थ्य संसाधन मुख्य रूप से शामिल हैं… तो वहीं टेलीमेडिसिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, फोन कॉल या मैसेजिंग के माध्यम से सूदूर पहाड़ों में बैठे लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की एक विधि है, जिसमें वीडियो परामर्श, फोन परामर्श, मरीज से ऑनलाइन सवाल-जबाव समेत दूर बैठकर भी अपने मरीज़ की निगरानी की जा सकती है,

टेलीमेडिसिन के लाभों में शामिल हैं

ग्रामीण या दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बढ़ाना ही टेलीमेडिसन का मुख्य मकसद है, इससे
-समय और यात्रा की बचत होगी
– स्वास्थ्य सेवाओं की लागत भी कम आएगी
– मरीजों की विशेषज्ञों तक पहुंच आसान होगी,

क्या कहते हैं डॉक्टर उमाशंकर

टेलीमेडिसन सोसायटी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय सचिव प्रोफेसर डॉ उमाशंकर की मानें तो टेलीमैडिसन या डिजिटल हैल्थ की शुरूआत भारत में साल 2000 में हुई थी और आज इसके 25 साल मुकम्मल हो रहे हैं फिर भी इसे जन-जन तक पहुंचाने का अभी भी ये शुरुआती चरण ही है…अभी ये अपने शैशव स्टेज में ही है…इसके माध्यम से जहां ग्रामीण क्षेत्रों में बैठा कोई भी शख्स अपनी छोटी-बड़ी बीमारियों का डायग्नोज अपने घर पर ही करवाने में सक्षम होगा, इससे जहां उसका बड़े हॉस्पीटल के चक्कर काटने का समय बचेगा वहीं आर्थिक तौर पर भी उसे कोई नुकसान नहीं होगा, डॉ. उमाशंकर ने बताया कि टेलिमैडिसन प्रणाली के जरिये लाभान्विंत होने वाले मरीजों के कई उदाहरण हैं…

गांव-घर बैठे आसानी से बड़े चिकित्सा विशेषज्ञों का लाभ उठा पाएंगे लोग- डॉ मिलाप

टांडा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ मिलाप शर्मा ने एनसथिजिया डिपार्टमेंट के एचओडी और विभाग के ही एसिसटैंट प्रोफैसर डॉ. श्याम भंडारी, डॉ. ननिश और टांडा मेडिकल कॉलेज के तहत आने वाले नर्सिंग स्कूल की प्रिंसिपल सुमन बोध को टेलिमेडिसन का सेमिनार आयोजित करने का श्रेय दिया है…डॉ मिलाप ने कहा कि निकट भविष्य में इस प्रणाली से लोगों को घर द्वार ऑनलाइन स्वास्थ्य लाभ मिलेगा साथ ही बहुत से युवा बेरोजगार भी इस प्रणाली के साथ जुड़कर अपनी आर्थिक स्थिती भी मजबूत कर सकेंगे

स्टाफ नर्सेज़ हैं टेलिमैडिसन की बैक बॉन- सुमन बोध

टीएमसी स्कूल ऑफ नर्सिंग की प्रिंसिपल सुमन बोध ने बताया कि हैल्थ स्ट्रक्चर में स्टाफ नर्सेज हर लिहाज से बैक बॉन का काम करती हैं…वो नर्सेज स्टाफ ही होता है जो मरीजों और डॉक्टर के बीच में कड़ी का काम करता है, ऐसे में टैलिमेडिसन प्रणाली में भी स्टाफ नर्सेज का सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहेगा, इसलिये क्योंकि ग्रामीण स्तर पर भी अगर टेलिक्लिनिक बनेंगे तो वहां ट्रेंड स्टाफ का होना बेहद जरूरी होगा और स्टाफ नर्सेज उसमें अहम कड़ी का काम करेंगी…
सीवीओ- काबिलेगोर है कि अगर स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांति लानी है तो डिजिटल हैल्थ और टेलीमेडिसिन दोनों को ही समय के साथ आत्मसात करना होगा ताकि स्वास्थ्य सेवाओं को आम जनता के लिए अधिक सुलभ, सुविधाजनक और कुशल बनाया जा सके…

"गद्दियों के सच्चे हमदर्द: मनोज ठाकुर ने पैरालिसिस पीड़ित भेड़पालक को पीठ पर उठाकर बचाई जान"

हिमाचल प्रदेश (धर्मशाला):- धर्मशाला और शाहपुर के नड्डी गांव निवासी पूर्व जिला परिषद सदस्य और वूल फेडरेशन के चेयरमैन मनोज कुमार को यूं ही गद्दी नेता नहीं कहा जाता, वो सचमुच गद्दियों की सुध लेते हैं और उनके सुख और दुख में भी शरीक रहते हैं, शायद यही वजह है कि सही मायनों में किसी भेडपालक को जब सबसे ज्यादा जरूरत होती है तो ईश्वर भी उन्हें मौके पर भिजवा देते हैं, इस बात की तस्दीक सराह के भेडपालक अजीत कुमार खुद करते नजर आ रहे हैं, इसलिये क्योंकि इसे इत्तेफाक कहा जाये या भेडपालक अजीत कुमार का भाग्य जो इन दिनों धर्मशाला के ऊंचे पहाड़ों में भेडों की ऊन काटने का काम कर रह हैं लिहाज़ा ये भेड़ों से ऊन निकालने का ही सीजन रहता है और इन दिनों पहाड़ों की विपरीत परिस्थितियों का भी भेडपालक सामना करते हैं लिहाज़ा ऐसी परिस्थितियों में बहुत ही कम हुकमरान होते हैं जो उनकी सुध लेने और इस कार्य का अवलोकन करने के लिये उनके पास पहुंचते हैं, बावजूद इसके हाल ही में सुखविंद्र सिंह सुक्खू की सरकार में वूल फेडरेशन के चेयरमैन बनाये गये मनोज ठाकुर इन दिनों तमाम भेडपालकों की सुध लेने उनके डेरों और ठिकानों पर खुद जा रहे हैं, इसी कड़ी में वो बीते कल नड्डी और गुणा माता के बीच भेड की कटाई कर रहे भेडपालकों से मिलने पहुंचे हुये थे कि इसी बीच धर्मशाला के सराह निवासी भेडपालक अजीत कुमार कुमार को पक्षाघात (पैरालिसिस) का दौरा पड़ गया, जिसकी जानकारी जैसे ही मनोज ठाकुर को लगी वो तुरंत उनसे मिलने पहुंच गये और उन्हें खुद पीठ पर लादकर उस जगह तक लेकर आये जहां उनका वाहन खड़ा था और फिर खुद ही उन्हें जोनल अस्पताल धर्मशाला भी लेकर पहुंच गये, जहां डॉक्टर्स की टीम ने उनकी नाजुक हालत को मद्देनजर रखते हुये उन्हें तुंरत टांडा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया, जहां उनकी हालत स्थिर बनी हुई है…

क्या कहते हैं गद्दी नेता मनोज ठाकुर

वूल फेडरेशन के चेयरमैन मनोज ठाकुर की मानें तो वो किसी भी संस्थान के चेयरमैन बाद में है और इंसान पहले, हां इससे पहले भी वो अपने भेडपालकों से मेल-मिलाप के लिये यूं ही इसी तरह उनके डेरों में जाते रहे हैं मगर इस बार इत्तेफाक ये था कि बतौर चेयरमैन भी उन्हें दौरा करने का मौका मिला और शायद ये ईश्वर का ही आदेश था जो अजीत कुमार की जान को जोखिम से बाहर निकालना मेरे हाथों से ही संभव होगा, इसलिये उस वक्त मैं मौके पर ही मौजूद था अन्यथा समय पर अगर अजीत कुमार को ईलाज न मिलता तो उसके साथ कुछ भी हो सकता है, गनिमत से अब वो खतरे से बाहर हैं

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