न 12वीं के अंकों का होगा मूल्यांकन न अभिभावकों की कोई सिफारिश आएगी इस यूनिवर्सिटी में काम फिर भी छात्रों का सुगमता से होगा यहां काम कैसे देखिए यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो . डॉ RS बावा की ये ये ख़ास प्रेस वार्ता

मौसम ने बदला मिज़ाज
हिमाचल के ज्यादातर क्षेत्रों में आज से मौसम करवट ले रहा है, सूबे के सात जिलों में आज हल्की बारिश के साथ आसमानी बिजली गिरने समेत 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तूफान चलने की भविष्यवाणी की गई है…मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के मुताबिक आज ऊना, चंबा, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, किन्नौर और लाहौल स्पीति के कई क्षेत्रों में बारिश के आसार हैं, जबकि बकाया जनपदों में मौसम के साफ रहने का पूर्वानुमान लगाया गया है…वहीं कल से प्रदेश में मौसम पूरी तरह साफ हो जाएगा… कल से 15 मई तक खिलेगी धूप सूबे में 15 मई तक मौसम पूरी तरह साफ बना रहेगा, इससे तापमान में हल्का उछाल आएगा, जो कि अभी नॉर्मल से कम चल रहा है…मनाली का अधिकतम तापमान सामान्य से 2.6 डिग्री कम के साथ 22.6 डिग्री सेल्सियस चल रहा है… धर्मशाला का तापमान नॉर्मल से 2.5 डिग्री कम के साथ 28.0 डिग्री, कल्पा का 2.2 डिग्री कम के बाद 18.1 डिग्री, नाहन का अधिकतम तापमान नॉर्मल से 0.9 डिग्री की गिरावट के बाद 32.2 सेल्सियस चल रहा है। मई में सामान्य से 29 प्रतिशत ज्यादा बारिश प्रदेश में बीते डेढ़ सप्ताह से बारिश हो रही है। प्रदेशवासियों ने इससे गर्मी से राहत की सांस ली है। राज्य में 1 से 11 मई तक सामान्य से 29 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। इस अवधि में 24.5 मिलीमीटर सामान्य बारिश होती है, लेकिन इस बार 31.7 मिलीमीटर बादल बरस चुके हैं।सिरमौर में सामान्य से 304 प्रतिशत ज्यादा बारिशसिरमौर जिला में सामान्य से 304 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है।जिला में 1 से 11 मई के बीच 16.2 मिलीमीटर सामान्य बारिश होती है, लेकिन इस बार 65.5 मिलीमीटर बादल बरसे हैं।सोलन में नॉर्मल से 269 प्रतिशत ज्यादा बरसे बादलसोलन में सामान्य से 269 प्रतिशत ज्यादा बादल बरसे हैं। जिला में मई के पहले 12 दिन में 18.2 मिलीमीटर सामान्य बारिश होती है।इस बार 67.2 मिलीमीटर बारिश हुई है।हमीरपुर जिला में 13.9 मिलीमीटर सामान्य बारिश के मुकाबले इस बार 47 मिलीमीटर बादल बरसे हैं, जोकि सामान्य से 238 प्रतिशत ज्यादा है। किन्नौर, कुल्लू और लाहौल स्पीति तीन जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है…
डिजी मित्रा इंडिया के लिए बिचित्र शर्मा की रिपोर्ट

समाज में महिला सशक्तिकरण का पर्याय हैं रैत की सुदर्शना देवी
धर्मशाला (हि.प्र) कहते हैं हीरे की कीमत जौहरी ही जानता है, ठीक वैसे ही जिन साजो-सामान या वस्तुओं को हम किसी काम का नहीं समझते उनको कलाकार लोग अपने हुनर से उस मुकाम तक पहुंचा देते हैं जहां न केवल वो आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं बल्कि बेशकीमती भी हो जाते हैं…हिमाचल प्रदेश के जनपद कांगड़ा की तहसील शाहपुर के ब्लॉक रैत निवासी सुदर्शना ने अपने हुनर का कुछ ऐसा ही परिचय दिया है कि आज उन्होंने जंगलों में सिर्फ नुकसान का पर्याय मानी जाने वाली चीड़ की पत्तियों को अपनी शिल्पकारी से वो आकार दिया है कि आज वो हाथोंहाथ बिक रही हैं…
चीड़ की पत्तियों से तैयार हो सकता है सजावटी सामान सुदर्शना ने सिखाया
एक स्टॉल पर रखा ये सजावटी सामान देखने में भला किसे अपनी ओर आकर्षित नहीं करेगा…इस सजावटी सामान को भला कौन खरीदना नहीं चाहेगा इसलिये क्योंकि घर में इस तरह के साजो-सामान की एक तो दरकार रहती ही है दूसरा ये कि जिस वस्तु से ये तैयार किया गया है वो बेहद इको फ्रैंडली है और इसमें खाने-पीने की वस्तुओं को भी रखा जा सकता है…
साल 2007 में शुरू किया था चीड़ की पत्तियों को तराशना
दरअसल रैत निवासी सुदर्शना देवी शिल्पकारी में वो शख्सियत हैं जो एक हाथ से दिव्यांग होने के बावजूद भी आज की तारीख में दूसरी महिलाओं के लिये प्रेरणा का स्त्रोत हैं, दरअसल दो दशक से भी पहले सुदर्शना देवी ने जंगलों में पाई जाने वाली उन चीड़ की पत्तियों को अपने हुनर में पिरोने शुरू कर दिया था जब इस दिशा में शायद यहां के लोगों का ध्यान ही नहीं जाता था, साल 2007 से सुदर्शना उन चीड़ की पत्तियों को अपने हुनर से आकार देती आ रही हैं जो पत्तियां जंगलों में सिर्फ जंगली वनस्पती को खत्म करने का काम करती थीं इतना ही नहीं आग में घी का काम करने वाली लोकोकती में भी कहीं न कहीं इशारा इन्हीं पत्तियों की ओर होता आया है…जो जंगलों में करोड़ों की वन संपदा को पल भर में राख की ढेरी में तब्दील करने का काम किया करती थीं, बावजूद इसके इन्हीं पत्तियों को घर के सजावटी सामान में कैसे बदला जाये ये आज की तारीख में सैकड़ों महिलाओं को सुदर्शना देवी ने सिखाया है…आज सुदर्शना देवी अपने क्षेत्र में किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं और आज उनकी रहनुमाई में 1 सौ से भी ज्यादा महिलाएं काम कर रही हैं…
किस बात का है शिल्पकार सुदर्शना को मलाल
सुदर्शना देवी की मानें तो उन्हें इस बात का बेहद मलाल है कि जो चीड़ की पत्तियां जंगलों में जंगली वनस्पती को उजाड़ने का काम करती है आज उसे प्रोटेक्ट करके इस तरह के निर्माण कार्यों में प्रयोग लाने की दिशा में कोई ख़ास कार्य नहीं हो रहा और जो लोग अपने स्तर पर कार्य कर रहे हैं उनके प्रोडक्ट्स को एक उचित मार्केट नहीं मिल पा रही, नतीजतन जो प्रयास उनकी ओर से चीड़ की पत्तियों की मार्फत प्रोडक्ट्स बनाने में किये जा रहे हैं वो नाकाफी हैं ऐसे में सरकार प्रशासन को इस दिशा में ज्यादा से ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है
आज हुनर से हुनरमंदों की मसीहा बनी हैं सुदर्शना
काबिलेगौर है कि साल 2018 में हिम ऑफ द स्टेट अवार्ड हासिल कर चुकी सुदर्शना को आज रोल मॉडल के तौर पर सरकार-प्रशासन की ओर से आयोजित बड़े बड़े जलसों, सेमिनारों और कार्यक्रमों में उनके द्वारा तैयार किये प्रोडक्ट्स के साथ बुलाया जाता है ताकि उनके प्रोडक्ट्स को प्रदर्शनियों में डिस्पले करके अन्य लोगों को भी इस दिशा में प्रोत्साहित किया जा सके…
ब्यूरो रिपोर्ट डीजि मित्रा इंडिया डेस्क