डिजिटल भारत की राह पर भरमौर से नई शुरुआत

हिमाचल प्रदेश के गैर सरकारी संगठन मेरा गांव मेरा स्वाभिमान ने प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल क्रांति लाने का फैसला लिया है…इसी कड़ी में संस्था की ओर से सबसे पहले प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों को चुना गया है और इस क्रांति की शुरूआत एक अभियान के तौर पर प्रदेश के आकांक्षी जिला चम्बा के जनजातीय क्षेत्र भरमौर से की गई है…कार्यक्रम की शुरूआत खुद संस्था के कार्यक्रम समन्वयक (Programme Coordinator) विजय कुमार ने की है, उन्होंने सबसे पहले जनजातीय क्षेत्र भरमौर के भरमौर खास (चौरासी प्रांगण) में आम जनता को डिजिटल लिट्रेसी क्यों जरूरी है और निकट भविष्य में डिजिटल लिट्रेसी से कैसी मानव इतिहास बदलेगा इस बाबत डिटेल में जानकारी साझा की 

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हवा और पानी की मानिद बेहद जरूरी होगी डिजिटल लिट्रेसी- विजय कुमार

संस्था के कार्यक्रम समनव्यक विजय कुमार ने बताया कि जिस तरह से एक इंसान को जिंदा रहने के लिये हवा-पानी की जरूरत है, ठीक उसी तरह से आने वाले वक्त में इंसान के लिये डिजिटल लिट्रेसी भी उतनी ही जरूरी होगी... इसलिये क्योंकि आज परंपरागत तरीके से होने वाले तमाम कार्य अब स्मार्ट इलैक्ट्रोनिक गैजेट्स के जरिये हो रहे हैं...उदाहरण के तौर पर आज अगर एक परिवार में पांच सदस्य हैं तो हर एक सदस्य के पास अपना मोबाइल फोन होता है और उस फोन में सबसे जरूरी होता है नेटवर्क और चंद पलों के लिये नेटवर्क अगर साथ छोड़ दे तो आदमी को यूं लगता है मानों किसी ने उसका हवा-पानी ही बंद कर दिया हो, आज का आदमी पूरा ग्लोब अपनी मुट्ठी में लेकर घूमता है दुनिया आज हमसे महज अंगुली के एक क्लिक की दूरी पर है, आप जो चाहते हैं वो मोबाइल पर देख और सुन पाते हैं जो कि हमारे लिये आज के युग में एक बहुत बड़ा वरदान है और ये सब डिजिटल क्रांति का ही परिणाम है... मगर उसी स्मार्ट गैजेट के माध्यम से जिस डिजिटल दुनिया को हम देख या सुन पा रहे हैं अगर उसको हैंडल करने का ज्ञान हमें नहीं आता है तो निश्चित तौर पर वो हमारे लिये अभिशाप भी हो सकता है

इसलिये जरूरी है कि हम न केवल स्मार्ट गैजेट्स को अपने पास रखें बल्कि उसके अंदर विचरण करने वाली डिजिटल दुनिया का भी ज्ञान अर्जित करें और उसके लिये जरूरी है हमें डिजिटल सूचना प्रोद्योगिकी मतलब आईटी एजुकेशन का ज्ञान होना और वो तभी आयेगा जब हम उसकी पढ़ाई करेंगे…मगर जानकार बताते हैं कि आज करोड़ों लोग स्मार्ट गैजेट्स तो खरीद लेते हैं मगर सही मायनों में उसका लाभ कैसे उठाना है उसकी पढ़ाई सिर्फ सैकड़ों तक ही सीमित है, यही वजह है कि मेरा गांव मेरा स्वाभिमान संस्था ने इस दिशा में काम करने का बीड़ा उठाया है कि हर गांव का हर शख्स जिसके पास स्मार्ट गैजेट्स है वो उस गैजेट्स का सही ज्ञान अर्जित कर पाये और डिजिटल दुनिया का लाभ अपने और अपने परिवार के उत्थान में कर सके इसके लिये आईटी लिट्रेसी अभियान की शुरूआत की है और सबसे पहले इसके लिये जनजातीय क्षेत्र भरमौर को चुना है ताकि जो आज पिछड़ा है वो कल डिजिटल क्रांति के पायदान पर सबसे पहले अग्रिम पंक्ति में खड़ा नजर आये…

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हर गांव को डिजिटल क्रांति के साथ जोड़ना है मकसद- मेद सिंह

मेरा गांव मेरा स्वाभिमान संस्था के चेयरमैन मेद सिंह का कहना है कि कोई भी शख्स तब तक बदलती दुनिया और परिवेश में खुद को अडजेस्ट नहीं कर पायेगा जब तक कि उसे आईटी का ज्ञान नहीं होगा, मेद सिंह की मानें तो आज की तारीख में ऐसा कोई भी विभाग या व्यवस्था नहीं जो डिजिटल क्रांति का हिस्सा न हो, आज आम आदमी भी अपने लेन-देन का गुणा भाग अंगुलियों पर करना छोड़ मोबाइल फोन के केलुक्लेटर पर कर रहा है...बड़े से बड़े दुकानदारों से लेकर रेहड़ी फड़ी वाले भी आज लेन-देन के लिये स्मार्ट एप का इस्तेमाल कर रहे हैं, लिहाज़ा शातिर लोग इसी का लाभ उठाकर अनजान और आईटी का ज्ञान न रखने वाले लोगों को इसी ऑनलाइन के धंधे में मोटी चपत भी लगा रहे हैं, बहुत से पढ़े-लिखे रिटायर्ड पर्सन भी हनी ट्रैप और ऑनलाइन फर्जीबाड़े का शिकार हो रहे हैं भला ऐसा क्यों, इसका एक ही जवाब है आईटी लिट्रेसी न होना, भले ही स्मार्ट गैजेट्स को चलाने वाले लोग किसी भी बड़ी संस्था या संस्थान या सरकारी-गैर सरकारी विभागों के उच्च औहदेदार, पढ़े-लिखे उच्च परंपरागत डिग्रियों के मालिक होंगे मगर आईटी लिट्रेसी का छोटा सा ज्ञान न होना उन्हें हनी ट्रैप और बड़े से बड़े फर्जीबाड़े का शिकार बना रहा है, यही वजह है कि उन्होंने अब इसी पढ़ाई को आम जन-जन तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है और उसकी शुरूआत जनजातीय क्षेत्र भरमौर से की जा चुकी है...

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